त्रिवेणी नगर निवासी मुकेश का बेटा आयुष 24 को हफ्ते भर पहले तेज बुखार आया था। परिवारीजनों ने पहले उसका नजदीकी अस्पताल से उपचार कराया, जहां पर कोई राहत नहीं मिली।
हालत गंभीर होने पर तीमारदारों ने तीन दिन पहले बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती कराया। डॉक्टर ने डेंगू की जांच कराई। रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बृहस्पतिवार दोपहर मरीज की हालत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत बताते हुए मरीज को केजीएमयू रेफर किया।
तीमारदारों ने केजीएमयू में वेंटिलेटर की उपलब्धता के बारे में जानकारी ली मगर वहां वेंटिलेटर फुल थे। मरीज की जान बचाने के लिए तीमारदार उसे लेकर इंदिरा नगर के निजी अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर डालने की तैयारी कर ही रहे थे कि उसने दम तोड़ दिया।
बलरामपुर अस्पताल के आईसीयू में चार वेंटिलेटर हैं। बावजूद इसके अति गंभीर मरीजों को मुहैया नहीं कराए जाते हैं। ऐसे में तीमारदार मरीज को लेकर इधर-उधर भटकने में मरीज की जान चली जाती है।
आयुष के तीमारदारों का कहना है कि वेंटिलेटर के लिए आईसीयू में गए थे, जहां बिना निदेशक की अनुमति के वेंटिलेटर पर मरीज को न रखे जाने की बात कही। तीमारदार मरीज की जान बचाने के लिए उसे लेकर निजी अस्पताल लेकर चले गए थे।