निजी अस्पताल में मरीज को मरा बताया, घर पहुंचने पर चलने लगी सांसें,

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निराला नगर स्थित इंडिया हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर की करतूत ने एक जिंदा मरीज को कब्र तक पहुंचा दिया। जिस मरीज को आईसीयू में भर्ती कर नौ दिन तक इलाज दिया गया, उसे डॉक्टरों ने सोमवार को अचानक मृत घोषित कर दिया गया। 
पीड़ित परिवार का साफ कहना है कि छह लाख रुपये वसूलने के बाद जब अस्पताल को पता चला कि उनके पास मोटी रकम नहीं बची, तो उन्होंने मरीज को मृत घोषित कर दिया। 
इस बारे में जब अस्पताल के संचालक डॉ. रफीक से पूछा गया तो उन्होंने सफाई दी कि परिवार खुद मरीज को ले गया था, डॉक्टरों ने मृत घोषित नहीं किया था। 
लेकिन सवाल ये है कि अगर मरीज को मृत घोषित नहीं किया गया था तो फिर कोई अपने बेटे को जिंदा दफनाने की तैयारी क्यों करेगा। इंदिरा नगर सी ब्लॉक के रहने वाले खालिद का बेटा फुरकान (24) बीते 22 जून को हादसे में जख्मी हो गया था। 
तीमारदार मरीज को लेकर ट्रॉमा सेंटर आए, जहां बेड नहीं मिला। निजी एंबुलेंस चालक ने उसे निराला नगर स्थित इंडिया हास्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया। 
करीब नौ दिन तक भर्ती रखने के बाद सोमवार दोपहर करीब एक बजे डॉक्टरों ने मरीज को मृत घोषित कर दिया। तीमारदार शव लेकर घर चले आए। 
शव दफनाने के लिए कब्र तक खोद दी गई। तभी लोगों की नजर उसकी चल रहीं सांसों पर पड़ी। शव दफनाने की तैयारी के बीच सांसें चलती देख परिवारीजन आननफानन उसे लोहिया अस्पताल ले गए। 
वहां पर न्यूरो का डॉक्टर न होने की बात कहकर लोहिया संस्थान भेजा गया। तीमारदार लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में मरीज को लेकर पहुंचे तो वहां भी बेड न होने की बात कहकर वापस कर दिया। 
दूसरे निजी अस्पताल में हुआ सीटी स्कैन, आईसीयू में भर्ती
पिता खालिद ने बताया कि बेटे को इंदिरा नगर स्थित सीएनएस अस्पताल में भर्ती कराया है। वहां सोमवार शाम करीब पांच बजे मरीज का सीटी स्कैन कराया गया। डॉक्टरों ने मरीज की हालत गंभीर देख उसे आईसीयू में शिफ्ट किया है। डॉक्टरों का कहना है कि मरीज के लिए 24 घंटे अहम हैं। डॉक्टरों की टीम मरीज पर नजर बनाए हुए हैं।
एंबुलेंस चालक ने फंसाया 
पिता खालिद का आरोप है कि ट्रॉमा सेंटर गेट से निजी एंबुलेंस चालक ने बेहतर इलाज व वेंटिलेटर सपोर्ट का झांसा देकर मरीज को इंडिया हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया था। यहां करीब नौ दिन में छह लाख रुपये वसूल लिए गए।
पिता बोले- सीएम से करेंगे शिकायत 
पिता का आरोप है कि निजी अस्पताल ने नौ दिन में वेंटिलेटर व दवाओं का खर्चा मिलाकर करीब छह लाख रुपये वसूल लिए। पिता का कहना है कि वह मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से करके निजी अस्पताल पर कार्रवाई की मांग करेंगे। तीमारदारों का कहना था मरीज को आईसीयू से निकालने बाद उसे मृत घोषित कर दिया। मरीज का ईसीजी तक नहीं किया गया। 
गलत हैं तीमारदारों के आरोप
इंडिया हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर के संचालक डॉ. रफीक ने बताया कि तीमारदारों के आरोप गलत हैं। वे अपनी मर्जी से मरीज ले गए थे। मरीज को मृत घोषित नहीं किया गया था। इलाज के नाम पर किसी तरह की वसूली नहीं की गई। तीमारदारों ने नौ दिन में महज 50 हजार रुपये जमा किए थे। बाकी बिल न चुकाना पड़े, इसलिए ये आरोप लगाए जा रहे हैं। 
घोर लापरवाही, शिकायत पर कराएंगे जांच
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि तीमारदारों की ओर से कोई लिखित शिकायत मिलती है तो मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। जिंदा मरीज को मरा बताकर भेजना घोर लापरवाही है।
मृत घोषित करने से पहले की जाती है ईसीजी
सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल का कहना है मरीज को मृत घोषित करने के लिए ईसीजी कराई जाती है। ईसीजी रिपोर्ट में लाइन सीधी जाती है। इसका मतलब होता है कि मरीज की मौत हो चुकी है। ईसीजी रिपोर्ट में लाइन ऊपर नीचे आ रही है। इसका मतलब होता है कि हार्ट काम कर रहा है।

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