कालेधन पर मंगलवार को रात अचानक हुई सर्जिकल स्ट्राइक से बसपा सुप्रीमो मायावती की नींद उड़ गयी है. दरअसल डायरेक्टर जरनल इन्वेस्टिगेशन की एक गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया है कि मायावती ने अपनी पार्टी के प्रति उम्मीदवार से टिकट देने के नाम पर साढ़े 3 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपये तक उगाही यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए की है. कैश में इकठ्ठा की गयी ये धनराशि तकरीबन 1200 करोड़ रुपये है और जाहिरतौर पर 1000 रुपये की करेंसी में पैसों का हस्तानांतरण हुआ है.
माया ने तलब किया नसीमुद्दीन और सतीश को
सूत्रों के मुताबिक मायावती के खजाने में जमा अरबों रुपये की इस रकम को ठिकाने लगाने के लिए राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्रा और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दकी को इन रुपयों को ठिकाने लगाने के लिए तत्काल अपने बंगले पर तलब कर लिया है. बताया जाता है कि मायावती के आवास पर इस समय इन बड़े नेताओं के साथ बैठक कर रही हैं. माया ने बुलाई CA की बैठक यही नहीं उनके आवास पर इस समय कई नामी-गिरामी CA अपनी टीम सहित मौजूद हैं.
दरअसल अगले साल यूपी में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती अपनी पार्टी के विधायकों और जिला अध्यक्षों से माल बटोरने में लगी थीं. बताया जाता है कि पैसे के लेनदेन का काम वैसे तो बहनजी के भाई आनंद देखते है. लेकिन अचानक लागू हुए इस कानून से मायावती के होश उड़ गए और उन्होंने तत्काल आवास पर अपने खास नेताओं और शहर के कई बड़े CA और उनकी फ़ौज बुला ली है.बसपा के विधायक बताते हैं कि मायावती हर मौके पर उम्मीदवारों से लाखों रूपए वसूलती हैं. ” मुझे एक उम्मीदवार ने बताया कि 9 अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने 20-20 लाख रूपए की डिमांड की थी.
यूपी में विधान सभा की 403 सीटों के हिसाब से अगर हर उम्मीदवार 20 लाख रूपए देने को मज़बूर होता है तो मायावती एक झटके में 80 करोड़ रूपए की वसूली कर लेती हैं. इससे पहले वो चार मंडलों में हुई रैली में 20-20 लाख रूपए जमा करवाकर महीने भर में 80 करोड़ रूपए अपने उम्मीदवारों से खींच चुकी हैं.बहरहाल आटोमैटिक मशीन से गिन कर पैसा लेने वाली बहनजी की रातों की नींद हराम हो गयी है. दरअसल मोदी ने अचानक कालेधन की सर्जिकल स्ट्राइक कर बसपा की नींद उड़ गयी है. बताया जाता है कि पहले से ही सपा और बीजेपी से दौड़ में पीछे चल रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती चुनाव अखाड़े में दो-दो हाथ करने से पहले ही मोदी की कालेधन की स्ट्राइक से पराजित हो गयीं हैं.