विजय माल्या को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने माल्या को अवमानना का दोषी माना है और उन्हें 10 जुलाई को पेश होने को भी कहा है. माल्या के खिलाफ बैंकों ने सम्पत्ति का सही ब्यौरा न देने की शिकायत की थी. अब दस जुलाई को माल्या का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट सज़ा तय करेगा.
न्यायमूर्ति एके गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा, ‘‘प्रतिवादी संख्या तीन (माल्या) को दो आधारों पर अदालत की अवमानना का दोषी पाया है.’’ ब्रिटेन मे रह रहे विजय माल्या को शीर्ष अदालत ने मामले में सजा तय करने संबंधी बहस के लिए दस जुलाई से पहले अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया.
यह आदेश एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों के समूह की याचिका पर आया है. याचिका में कहा गया था कि माल्या ने ब्रिटेन की कंपनी डियागो से प्राप्त चार करोड़ डॉलर की राशि विभिन्न न्यायिक आदेशों का ‘‘गंभीर उल्लंघन’’ करते हुए कथित तौर पर अपने बच्चों को भेजी थी.
दरअसल नौ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के खिलाफ अदालत की अवमानना और डिएगो डील से माल्या को मिले 40 मिलियन यूएस डॉलर पर अपना आदेश सुरक्षित रखा था. बैंकों ने मांग की थी कि 40 मिलियन यूएस डॉलर जो डिएगो डील से मिले थे उनको सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराया जाए.
बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डिएगो डील से मिले 40 मिलियन डॉलर को बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर किया है और उसका एक ट्रस्ट बना रखा है. बैंको ने डिएगो डील से मिले 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर को सुप्रीम कोर्ट में जमा कराने की मांग की थी. इससे पहले विजय माल्या की याचिका पर कोर्ट ने बैंको को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. याचिका में माल्या ने अवमानना नोटिस को वापस लेने की मांग की थी.
विजय माल्या पर एसबीआई समेत 17 बैंकों का 9000 करोड़ रुपये बकाया है. माल्या किंगफिशर एयरलाइंस के लिए गए कर्ज को बिना चुकाए पिछले साल मार्च में देश से बाहर चला गया था. पिछले साल सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एक एफआईआर के आधार पर ईडी ने माल्या और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिग का मामला दर्ज किया था.