किडनी की बीमारी से पीड़ित शीतला देवी को भर्ती की जरूरत थी। इसके लिए आरटीपीसीआर की निगेटिव जांच चाहिए। पर हड़ताल की वजह से जांच नहीं करा सकीं। दूसरे जनपद से आने की वजह से मजबूरी में उनको विवि के एक कोने में शरण लेनी पड़ी। शीतला देवी के अनुसार, अब बुधवार का इंतजार करेंगी।
78 वर्षीय बद्री प्रसाद को प्रोस्टेट की समस्या है। ओपीडी में फॉलोअप के लिए उनको मंगलवार को बुलाया गया था। हड़ताल के चलते उनको भर्ती नहीं किया गया। ऐसे में वे इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
केजीएमयू में मंगलवार से शुरू हुई कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से इलाज की गाड़ी पटरी से उतर गई। दूरदराज से आए लोगों के ओपीडी में पर्चे नहीं बने और भर्ती मरीजों को इलाज नहीं मिला।
जांच रिपोर्ट पाने के लिए तीमारदार परिसर में भटकते रहे। विवि प्रशासन बिना पर्चे के मरीजों को देखने का दावा करता रहा, लेकिन तब तक 1500 से ज्यादा मरीज लौटाए जा चुके थे।
संविदा कर्मचारियों के काम न करने से जांच, भर्ती और जांच रिपोर्ट की व्यवस्था चौपट रही। वहीं, शासन द्वारा लिखित आश्वासन के बाद कर्मचारियों ने एक महीने के लिए हड़ताल स्थगित कर दी है।
केजीएमयू के नियमित कर्मचारियों ने पीजीआई के बराबर मानदेय देने की मांग पर हड़ताल की है। कर्मचारी संघ ने इमरजेंसी सेवाओं को हड़ताल से मुक्त रखने की घोषणा की थी।
इससे ट्रॉमा का कामकाज ही सामान्य रूप से चलता रहा लेकिन, ओपीडी, कोविड जांच, खून की जांच व रिपोर्ट तथा वार्ड में भर्ती मरीजों का इलाज बुरी तरह प्रभावित हुआ।
केजीएमयू में नियमित पैरामेडिकल, टेक्नीशियन, नर्सिंग समेत दूसरे संवर्ग के कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं। केजीएमयू में करीब 2400 नर्स, टेक्नीशियन व दूसरे संवर्ग के कर्मचारी नियमित हैं।
केजीएमयू कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार ने बताया कि पीजीआई के समान वेतनमान और कैडर पुनर्गठन करने का शासनादेश पांच साल पहले किया जा चुका है।
अब तक कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिला है। जबकि कर्मचारी लगातार मांगें उठा रहे हैं। कर्मचारी परिषद के उपाध्यक्ष अतुल उपाध्याय के अनुसार, मांगों पर सुनवाई न होने से मजबूरी में यह कदम उठा रहे हैं। हालांकि, उन्होंने परिसर में सभी इमरजेंसी सेवाएं बिना बाधा के चलने का दावा किया।
पूर्व घोषणा के बाद नहीं की गई व्यवस्था
हड़ताल की सूचना के बावजूद केजीएमयू प्रशासन ने कोई विशेष व्यवस्था नहीं की। सुबह आठ बजे से लोग ओपीडी में दिखाने के लिए पर्चा बनवाने के लिए परिसर पहुंचे, लेकिन संविदाकर्मियों ने भी काम नहीं किया। इससे पर्चे नहीं बन पाए। ऐेसे में काफी मरीजों को लौटना पड़ा। केजीएमयू प्रशासन को भी इसकी सूचना मिली। इसके बाद करीब 11 बजे के बाद पर्चे बनने शुरू हो पाए। तब तक 1500 मरीज लौट चुके थे। इसमें अन्य जनपद से आने वाले काफी मरीज थे।
हड़ताल से कुछ देर के लिए पर्चे नहीं बने, लेकिन ओपीडी में सादे पर्चे पर ही मरीज देखे गए। संस्थान में 18 ओटी हैं। ये सभी चालू रहीं। इनमें मंगलवार को 89 मरीजों का ऑपरेशन किया गया। हड़ताल का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा और सभी मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया गया है। जानकारी के अभाव में कोई मरीज भले ही लौट गया हो, लेकिन विवि की ओर से किसी को वापस नहीं किया गया।