गृह मंत्रालय ने इशरत जहां ‘फर्जी मुठभेड़’ मामले से जुड़े लापता दस्तावेजों के सिलसिले में एफआईआर दर्ज करवाई है. इस कदम से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। गृह मंत्रालय के एक सचिव ने संसद मार्ग पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 409 के तहत मामला दर्ज करवाया है. इसमें पुलिस से इस बात की जांच करने को कहा गया है कि क्यों, कैसे और किन हालात में मामले से जुड़े पांच दस्तावेज गायब हो गए.
दरअसल इससे पहले अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने अपना निष्कर्ष दिया था कि सितंबर 2009 में दस्तावेजों को जानबूझ कर या अनजाने में हटा दिए गए या गायब हो गए. ये सब उस दौर में हुआ जब कांग्रेस नेता पी चिदंबरम गृह मंत्री थे। समिति ने तीन महीने की जांच के बाद 15 जून को रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें कहा गया है कि पांच में से केवल एक दस्तावेज ही मिल पाया है. हालांकि जांच समिति ने चिदंबरम या तत्कालीन यूपीए सरकार में किसी भी शख्स के बारे में कुछ नहीं कहा है.
मार्च में हंगामे के बाद गठित हुआ पैनल
बता दें कि संसद में हंगामे के बाद बीते 14 मार्च को गठित इस पैनल को उन स्थितियों की जांच करने को कहा गया था, जिनमें इशरत जहां से जुड़ी अहम फाइलें गायब हो गईं. इशरत जहां 2004 में गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई थीं. पैनल से फाइलें और प्रासंगिक मुद्दों को रखने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति का पता लगाने को कहा गया है. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 10 मार्च को संसद में खुलासा किया था कि फाइलें गायब हैं.
पत्र, मसौदा और हलफनामा भी गायब
सूत्र बताते हैं कि गृह मंत्रालय से जो कागजात गायब हैं, उनमें अटॉर्नी जनरल द्वारा परखे गए और 2009 में गुजरात हाई कोर्ट में दायर हलफनामे की प्रति और दूसरे हलफनामे का मसौदा भी शामिल है, जिसमें बदलाव किए गए थे. तत्कालीन गृह सचिव जीके पिल्लै द्वारा तत्कालीन अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को लिखे गए दो पत्रों और मसविदा हलफनामे की प्रति का भी अब तक पता नहीं चल सका है.