ओवैसी व मायावती के कारण त्रिकोणीय हो जाएगा मुकाबला

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने 53 सीटाें पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इसमें से 14 सीटोें पर उन्होंने मुस्लिमों को टिकट दिए हैं। बसपा ने बुढ़ाना, चरथावल, खतौली, मीरापुर, सिवालखास, मेरठ दक्षिण, छपरौली, लोनी, मुरादनगर, धौलाना, हापुड़, गढ़ मुक्तेश्वर, शिकारपुर, कोल तथा अलीगढ़ में मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। बसपा दलित-मुस्लिम समीकरण बनाकर अपनी राहें आसान करने की रणनीति अपना रही है। इन सभी मुस्लिम बहुल सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन भी मजबूती से ताल ठोक रहा है। गठबंधन की उम्मीदें भी मुसलमानों पर टिकी हुई हैं। मुस्लिम-जाट समीकरण के सहारे गठबंधन खुद को मजबूत करने की तैयारी में हैं। जातीय समीकरणों के लिहाज से गठबंधन के लिए चिंता की बात यह है कि इन सीटों पर यादव उतनी भारी संख्या में नहीं हैं।
कई जगह अलग समीकरण :  चरथावल से सपा ने पंकज मलिक पर दांव लगाया है। सपा को लग रहा है कि  जाट और मुस्लिम समीकरण यहां रंग ला सकता है। वहीं, बसपा ने पूर्व मंत्री सईदुज्जमा के बेटे सलमान सईद को यहां से टिकट दे दिया है। वे कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुए हैं। निश्चित रूप से यहां इससे बसपा का समीकरण मजबूत होता नजर आ रहा है। ऐसे ही समीकरण खतौली सीट पर भी बन रहे हैं। यहां से रालोद ने राजपाल सिंह सैनी को चुनावी रण में उतारा तो बसपा ने माजिद सिद्दीकी को उतार दिया। मीरापुर से रालोद ने चंदन चौहान को टिकट दिया है, पर यहां भी बसपा ने मोहम्मद शालिम को टिकट दिया है। मीरापुर में मुस्लिमों की खासी संख्या है। ऐसे में यहां भी बंटवारे के आसार बढ़ गए हैं। मेरठ की सिवालखास सीट पर सपा और रालोद के बीच इस समय मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि सीट रालोद के हिस्से में जा रही है और यहां से जाट प्रत्याशी उतारने की तैयारी है। यहां से भी बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार नन्हे प्रधान को टिकट दिया है तो ओवैसी की पार्टी ने भी सिवालखास से मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार दिया है।

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