गंगाजल के पीएच में हो रहा सुधार,

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बनारस में गंगा के प्रदूषण में कमी आने से जल विज्ञानियों में खुशी की लहर है। गंगाजल के पीएच में सुधार होने के साथ ही घुलित आक्सीजन की मात्रा भी तेजी से बढ़ गई है। मार्च महीने की शुरूआत से ही गंगाजल की जांच रिपोर्ट से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी उत्साहित है। माना जा रहा है कि गंगाजल के लिए की जा रही स्वच्छता की कवायद अब रंग लाने लगी है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो 15 मार्च का गंगाजल के पीएच का स्तर 8.25 हो गया है। घुलिस आक्सीजन की मात्रा भी 8.2 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई है। बयोलॉजिकल आक्सीजन डिमांड भी तीन हो गई है। यानी गंगाजल मध्य धार से उस पार तक आचमन और स्नान योग्य हो चुका है। घुलित आक्सीजन छह मिलीग्राम प्रति लीटर और पीएच मान 7.5 से अधिक होना चाहिए। बीओडी तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। नदी विज्ञानी प्रो. बीडी त्रिपाठी का कहना है कि गंगाजल के नमूनों से पता चल रहा है कि गंगाजल का स्तर अब 50 साल पहले की स्थिति की तरफ बढ़ रहा है। अधिकांश नालों के बंद होने और एसटीपी लगाने के बाद स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। प्रो. त्रिपाठी के मुताबिक उन्होंने पहली बार 1972 में शोध में पाया था कि गंगा प्रदूषित हो रही हैं। सरकार के प्रयासों से इसमें सुधार दिखाई दे रहा है।

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