ठगी का शिकार पुलिस ही हो गई

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लखनऊ। दिल्ली पुलिस ने वित्तीय घोटाले में शुक्रवार को वी इंस्पायर फैसिलिटी प्रा. लि. के विकास ढुल और अरुण ढुल को गिरफ्तार कर लिया है। हरियाणा के रहने वाले इन दोनों जालसाजों के खिलाफ सुशांत गोल्फ सिटी थाने में एफआईआर दर्ज है। 11 नवंबर 2020 को दर्ज मामले में दोनों पर पुलिस विभाग से लाखों रुपये की ठगी का आरोप है।

दरअसल, यूपी 112 के तत्कालीन एडीजी ने उक्त मामला दर्ज कराया था। वर्ष 2020 में लखनऊ पुलिस में साफ-सफाई का ठेका वी इंस्पायर फैसिलिटी प्रा. लि. के पास था। इसके मालिक ने दूसरी कंपनी के कर्मचारियों को वी इंस्पायर का बताते हुए पुलिस विभाग से मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान लिया। यही नहीं, कंपनी ने यूपी 112 में प्रशिक्षण के नाम पर भी लाखों रुपये का भुगतान कराया था। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब यूपी 112 में एसी का रखरखाव करने वाली कंपनी केएसजे डायनेमिक सिक्योरिटी के कर्मचारी राकेश कुमार शुक्ला ने इसकी शिकायत की। उसने बताया कि उसके नाम से फर्जी खाता खुलवाकर हर माह बैंक से 10-12 हजार रुपये डाले और निकाले जाते हैं।

बैंक से जानकारी पर पता चला कि यह खाता वी इंस्पायर फैसिलिटी प्रा. लि. ने खुलवाया है। इसमें राकेश के अलावा दर्जनों लोगों के ऐसे ही खाते खुलवाए गए थे। ज्यादातर खातों में कंपनी के मैनेजर का मोबाइल नंबर फीड था। जालसाजी के सुबूत मिलने के बाद एडीजी यूपी 112 ने मुकदमा दर्ज कराया। जांच के दौरान क्राइम ब्रांच ने खाता खुलवाने में दिए गए दस्तावेजों पर दर्ज हस्ताक्षर को सत्यापित कराने के लिए फोरेंसिक लैब भेजा। मगर 10 महीने बीतने के बावजूद पुलिस को न तो इसकी रिपोर्ट मिली और न ही कोई कार्रवाई हुई।
लखनऊ पुलिस आयुक्त डीके ठाकुर ने बताया कि यह मामला क्राइम ब्रांच में लंबित है। दिल्ली पुलिस द्वारा दो लोगों की गिरफ्तारी की सूचना मिली है। हस्ताक्षर मिलान के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार है। दिल्ली में गिरफ्तार विकास और अरुण ढुल की लखनऊ में दर्ज मुकदमे में क्या भूमिका है, इसकी जानकारी ली जा रही है। जरूरत हुई तो एक टीम दिल्ली भेजी भी जाएगी।

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