बसपा ने ब्राह्मण सम्मेलन के नाम पर हिंदुओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंच पर गेरुआ वस्त्रधारी साधु, मुख्य मंच के पास बने एक छोटे मंच पर शंख व घंटे घंड़ियाल बजाते वैदिक पंडित, मुख्य अतिथि का वैदिक मंत्रों से स्वागत करते आचार्य यही साबित कर रहे थे। जय परशुराम, हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है, जैसे मंच से लग रहे नारे ब्राह्मणों में जोश भरने का काम कर रहे थे। वहीं मुख्य अतिथि बसपा महासचिव सतीश चंद मिश्र ने भी अपने को जनेऊधारी होने की बात कहते हुए उदाहरण दिया तो संबोधन के अंत में जय श्रीराम, जय परशुराम का उद्घोष भी किया। उन्होंने इसी तरह का सम्मेलन अन्य धार्मिक स्थलों पर भी करने की बात कह हिंदुओं पर डोरे भी डाले।
सम्मेलन कों प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी का नाम दिया गया इसके माध्यम से बसपा महासचिव ने ब्राह्मणों के साथ हिंदुओं को भी रिझाने का प्रयास किया। उन्होंने अपने को जनेऊधारी साबित करने के लिए एक उदाहरण दिया कि एक कार्यक्रम के दौरान उनका जनेऊ शर्ट के ऊपर दिख रहा था। इस पर किसी ने उनसे पूछा कि आपने यह धागा क्यों पहना है, उन्होंने जवाब दिया कि यह धागा नहीं ब्राह्मणों के मान, सम्मान व स्वाभिमान का प्रतीक जनेऊ है। उन्होंने अपने संबोधन में कई बार अयोध्या, श्रीराम का नाम लिया। अंत में जयश्रीराम का उद्घोष कर यह साबित करने का प्रयास किया कि प्रभु श्रीराम उनके आराध्य हैं। कार्यक्रम के आयोजक बसपा नेता करुणाकर पांडेय ने माहौल को हिंदूमय करने के लिए मंच पर स्वास्ति वाचन, वैदिक मंत्रों का पाठ, शंख व घंटे घड़ियाल आदि के साथ गेरुआ वस्त्रधारी वैदिक पंडित व आचार्य को भी आमंत्रित किया था।