माघ मेले की तैयारी पिछड़ने से चिंतित प्रशासन की मुश्किलें बृहस्पतिवार को हुई बारिश ने और बढ़ा दी हैं। दिन भर हुई बारिश से मेला क्षेत्र में जगह-जगह सड़कें धंस गई हैं। कई जगहों पर अफसरों और ठेकेदारों ने बालू लदे वाहन भी रोक दिए। इससे दलदली जमीन पर बालू बिछाने, समतलीकरण समेत अनेक काम प्रभावित हो गए।मकर संक्रांति के साथ ही माघ मेले की शुरुआत हो जाएगी। इसके विपरीत अभी तक मेला क्षेत्र में जगह-जगह पानी लगा हुआ है। जमीन समतलीकरण का काम भी अभी काफी पीछे है। मेला क्षेत्र में सड़कों के निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत हुई थी। इस पर मेला प्रशासन ने भुगतान रोके जाने की चेतावनी दी थी।बारिश के बाद इन शिकायतों को दूर करने के दावाें की सच्चाई भी सामने आ गई तथा जगह-जगह सड़कें धंस गईं। जलभराव वाले स्थानों पर बिछाने तथा समतलीकरण के लिए सेक्टर पांच से बालू लाया जा रहा था लेकिन सेक्टर तीन में वाहनों को रोक दिया गया। मजदूरों को डर था कि बालू लदे वाहनों के गुजरने से कहीं सड़कें धंस न जाएं। बारिश की वजह से टेंट लगाने समेत अन्य तैयारियां भी प्रभावित हुईं।
मकर संक्रांति से माघ मेले की शुरुआत हो जाएगी। वहीं इस बार 17 जनवरी से कल्पवास शुरू होगा। ऐसे में ज्यादातर कल्पवासियों के मकर संक्रांति से पहले ही आ जाने की उम्मीद है। संस्थाआें के आने का क्रम तो अभी से शुरू हो गया है। इसके विपरीत मेले की तैयारियों की स्थिति यह है कि अभी तक संस्थाओं को सुविधा पर्ची तक नहीं मिली है। बृहस्पतिवार को बारिश के बीच ही सुविधा पर्ची के लिए लंबी कतार लगी थी।इतना ही नहीं संस्था प्रतिनिधियों को दो-तीन दिन बाद सुविधाएं दिए जाने की बात कही गई। इससे उनमें नाराजगी रही। गौर करने वाली बात यह भी है कि अभी बड़ी संस्थाओं को ही सुविधा पर्ची मिली है। बड़ी संख्या में संस्थाआें को सुविधा पर्ची नहीं मिली है। इसके अलावा नई संस्थाओं को सुविधाएं देने पर अभी तक निर्णय ही नहीं हुआ है। इस पर निर्णय के लिए शनिवार को बैठक बुलाई गई है। इसके बाद उन्हें भूमि आवंटित की जाएगी। फिर सुविधा पर्ची दी जाएगी। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि एक सप्ताह में तंबुओं का नगर कैसे बस पाएगा।