भारत माता की जय के जयकारे के साथ शहीद रितेश पाल के शव का अंतिम संस्कार

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हिमाचल प्रदेश में पहाड़ का टुकड़ा गिरने से शहीद हुए प्रतापगढ़ के लाल रितेश पाल के शव का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। जब तक सूरज चांद रहेगा रितेश तेरा नाम रहेगा, भारत माता की जय के गगनभेदी नारों के साथ शहीद के शव का अंतिम संस्कार किया गया। इसके पूर्व जिला मुख्यालय पर जिले के आला अधिकारियों के साथ जनप्रतिनिधियों ने पुष्पचक्र अर्पित किया। 

अंतू थाना क्षेत्र के पूरे भैया गांव के रहने वाले रितेश पाल सेना के इंजीनियरिंग कोर में नायक के पद पर कार्यरत थे। इस समय उनकी पोस्टिंग हिमाचल प्रदेश के मनाली में थी। शुक्रवार की सुबह वहां पर भारी बरसात हुई थी तथा भारी बर्फ पड़ी थी। मनाली के कलिंग सराय के लाहौल प्रीती स्थान पर जो कि मनाली लेह हाईवे पर स्थित है। वहां पर वह अपनी पार्टी के साथ सड़क पर मशीन से बर्फ हटवा रहे थे। अचानक पहाड़ का टुकड़ा टूट कर गिर पड़ा। भूस्खलन की चपेट में आने से वह करीब 100 फीट खाई में गिर पड़े। सेना के जवानों ने उन्हें बाहर निकाला, लेकिन तब तक रितेश पाल देश के लिए शहीद हो गए थे ।

उनकी यूनिट के  अधिकारियों ने सेना में ही तैनात उनके छोटे भाई को उनके शहीद होने की सूचना दी। तब से उनके परिवार में मातम छाया हुआ था। शहीद रितेश पाल के शव का पोस्टमार्टम हिमाचल के सेना के हेड क्वार्टर केलांग में किया गया। वहां पर सेना के अधिकारियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहां से नायब सूबेदार अजय कुमार के नेतृत्व में सेना के जवानों ने अपनी सेना की गाड़ी से सड़क मार्ग से शहीद के शव को सेना के हेडक्वार्टर प्रयागराज लेकर आए। वहां से रोड के द्वारा शहीद का शव जनपद मुख्यालय पहुंचा तो रात में ही जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक ने शव को पोस्टमार्टम हाउस में रखवाया। वहां पर हजारो की भीड़ इकट्ठा हो गई।

रविवार की सुबह करीब 10 बजे शहीद रितेश पाल के शव को सेना के ही वाहन में रखकर अंतिम दर्शन के लिए शहीद की शवयात्रा निकाली गई, जो पोस्टमार्टम हाउस पूरे केशवराय से शुरू होकर मुख्यालय के अंबेडकर चौराहा कंपनी गार्डन होते हुए अंती का  पुरवा शुकुलपुर रामनगर होते हुए पूरे भैया स्थित शहीद के घर पहुंची। वहां पर हजारों की भीड़ बरसात में भी शहीद के शव का इंतजार कर रही थी। शहीद की पत्नी सुशीला मां सुशीला देवी पुत्र प्रतीक पुत्री अनन्या भाई पिता मूलचंद्र पाल तथा परिवार के अन्य सदस्य शहीद के शव से लिपट कर रोने लगे।

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