मुंबई के काला घोड़ा इलाके में पुलिस की एक वैन दो कैदियों को लेकर कोर्ट में पेशी के लिए जा रही थी। उसी समय वैन को चारों ओर से घेरकर अपराधियों ने फायरिंग शुरू कर दी। गोलियों की तड़तड़ाहट उस वक्त रुकी जब गाड़ी में बैठे दोनों कैदियों के जिस्म ठंडे हो गए।
गोली मारने वाले बदमाश सरेआम वहां से निकले और कुछ ही मिनटों में भीड़ में गुम हो गए। दिन दहाड़े पुलिस की वैन में दो अपराधियों के मारे जाने से मुंबई में तहलका मच गया। पुलिस ने जब मामले का खुलासा किया तो पता चला कि दोनों हत्याएं दाऊद और छोटा राजन के गैंगवार का नतीजा थीं। खुलासे में सबसे चौंकाने वाली बात थी कि शूटआउट को अंजाम देने वाले शूटर इलाहाबाद के थे।
उस समय पहली बार पता चला कि अंडरवर्ल्ड की जड़े इलाहाबाद तक पहुंच गईं हैं। इस कांड में शहर के अपराधी बच्चा पासी, जफर मुबारक और खान मुबारक को मुंबई क्राइम ब्रांच ने पकड़ा था।
2006 के आसपास दाऊद गैंग और छोटा राजन गैंग के बीच अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गैंगवार चल रही थी। दोनों एक दूसरे के आदमियों को मुंबई ही नहीं थाईलैंड, मलेशिया और दुबई आदि देशों में मरवा रहे थे। छोटा राजन उस वक्त मलेशिया में अपना आपराधिक साम्राज्य कायम किए था। मुंबई में छोटा राजन के बेहद खास ड्रग माफिया एजाज पठान के 50 लाख ड्रग पैडलर अमजद खान और हिमांशु चौधरी ने लिए थे। एजाज पठान और उन दोनों में न जाने क्या विवाद हुआ, दोनों पठान का पैसा बिना लौटाए ही दाऊद गिरोह से जुड़ गए।
यह बात एजाज को बहुत खली। उसने दोनों को मरवाने के लिए सुपारी दे दी। इसी बीच अमजद खान और हिमांशु चौधरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यह बात छोटा राजन तक पहुंचाई गई। तब तक छोटा राजन गिरोह ने यूपी के इलाहाबाद समेत कई शहरों में शूटरों की नई पौध तैयार कर ली थी। तय हुआ कि अमजद खान और हिमांशु चौधरी को पुलिस कस्टडी में ही मारा जाएगा ताकि एक तीर से दो निशाना साधा जा सके। दाऊद गिरोह के साथ ही पुलिस को मैसेज जाएगा कि छोटा राजन गिरोह से पंगा लेने वाला कहीं भी बच नहीं सकता।