चीनी सामानों पर बहिष्कार पर बहुत बातें हो चुकी हैं …तमाम राष्ट्रवादी मित्रों ने अपनी तरफ से यह बहिष्कार प्रारंभ भी कर दिया है | कई मित्रों ने प्रश्न उठाया कि जो लोग इस बाजार से अपनी रोटी कमा रहे हैं उनकी रोटी का बिकल्प सुझाइए |
भारतीय व्यापारी हर वो काम करना चाहता है जिसमे गारन्टी के साथ मुनाफा हो | भारतीय व्यापारी 100 रूपये खर्च करके 120 बनाने वाला काम करता है पर 100 लगा कर 0 या 1000000 कमाने वाला काम कभी नहीं करता है | यही कारण है कि हम इनफ़ोसिस जैसा प्रतिष्ठान तो खड़ा कर देते हैं पर माइक्रोसॉफ्ट जैसा प्रतिष्ठान खड़ा करने की हम सोंचते भी नहीं …माफ़ कीजियेगा इनफ़ोसिस जैसे संस्थान इंजीनियर की सेवाएँ बेंचकर मुनाफा कमाते हैं ..ठीक वैसे ही जैसे कोई मजदूर कानट्रेक्टर आप से 500 लेकर और मजदूर को 300 देकर , 200 का मुनाफा कमाता है …आज हम इसे हाई – टेक की सफलता कह कर अपनी पीठ ठोंकते हैं ..
120 करोड़ की आबादी वाला देश …..जिसके इंजीनियर प्रत्येक प्रतिष्ठित संस्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हों ..कभी अपनी विंडो बनाने की सोंचता ही नहीं …एक इंजीनियर होने के नाते इस पीड़ा को रोज जीता हूँ …
यही मनःस्थिति हमें चीन के सामानों का बाजार बनाती है …इसी को बदलने की आश्यकता है |
मित्रों …किसी दूसरे का सामन बेंचने का बिकल्प होता है अपना बनाना ..
रक्षा बंधन आ रहा है …बड़ी थोड़ी सी लागत में राखी बनाने का काम किया जा सकता है | असली राष्ट्रवाद दिखाने का यही अवसर है | देसी राखी को हर राष्ट्रवादी दो पैसे ज्यादा देकर खरीदेगा …क्या हमारे देश का व्यापारी वर्ग आगे आकर विंडो ना सही स्वदेशी राखी ही बना कर चीन को पछाड़ने का जोखिम उठाएगा …????