मुलायम सिंह के बाद योगी पहले मुख्यमंत्री जो चुनाव लड़ेंगे

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2003-04 के बाद पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जब कोई मुख्यमंत्री विधानसभा चुनाव लड़ेगा। इसके पहले आखिरी बार 2003-04 में मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने गुन्नौर से विधानसभा चुनाव लड़ा था और रिकॉर्ड 1.83 लाख मतों से जीत हासिल की थी। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है।

  • 2007 : बहुजन समाज पार्टी की जीत हुई। दलित-ब्राह्मण गठजोड़ से मायावती ने अपनी सरकार बनाई। मायावती विधान परिषद की सदस्य बनकर मुख्यमंत्री पद तक पहुंची। 
  • 2012 : समाजवादी पार्टी की जीत हुई। मुस्लिम-यादव गठजोड़ से अखिलेश यादव ने अपनी सरकार बनाई। अखिलेश ने भी विधान परिषद के सदस्य के तौर पर मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। 
  • 2017 : भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की। मोदी और केशव मौर्य के चेहरे पर भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की। भाजपा ने गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया। सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद योगी विधान परिषद के सदस्य बने और फिर मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। 
  • योगी आदित्यनाथ ने जब पिछले दिनों चुनाव लड़ने का एलान किया था, तब अखिलेश ने भी कहा कि अगर पार्टी कहेगी तो वह भी चुनाव लड़ेंगे। 2012 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव ने कहा था, ‘समाजवादी पार्टी जहां से कह देगी, मैं चुनाव वहां से लड़ लूंगा।’ 

वहीं, दूसरी ओर 2007 से 2012 तक मुख्यमंत्री रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ कर दिया है कि वह चुनाव नहीं लडेंगी। इसको लेकर मायावती ने अपनी स्थिति भी स्पष्ट कर दी। उन्होंने कहा, ‘मान्यवर कांशीराम के रहने तक मैंने खूब चुनाव लड़ा और जीता। अब उनके न रहने पर पार्टी की पूरी जिम्मेदारी मेरे ऊपर है। इसलिए मैं चुनाव नहीं लडूंगी।’राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। 20 साल पहले ही ये घटना इसकी बानगी है। बात 2002 की है। तब गोरखपुर जिले से भारतीय जनता पार्टी ने शिव प्रताप शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया। इससे खफा होकर मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तब अखिल भारतीय हिन्दू महासभा से डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को शिव प्रताप शुक्ला के खिलाफ मैदान में उतार दिया। शुक्ला के खिलाफ योगी ने खूब प्रचार किया। नतीजा ये रहा कि डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल जीत गए और बीजेपी बुरी तरह हार गई।

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