सरकार ने कहा है कि रेस्टोरेंट में सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से वैकल्पिक है और ग्राहकों की रजामंदी के बगैर इसे नहीं वसूला जा सकता है. लेकिन नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) ने इसके उल्ट कहा है कि अगर उपभोक्ता सर्विस चार्ज नहीं चुकाना चाहते हैं तो वे होटल या रेस्टोरेंट में खाना नहीं खाएं. फैसले के खिलाफ एनआरएआई कानूनी मदद भी ले सकता है.
कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देशभर में रेस्टोरेंट ग्राहकों से जबरन सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं. पिछले कई महीनों से मंत्रालय को रेस्टोरेंट द्वारा जबरन सर्विस चार्ज वसूले जाने पर लगातार शिकायत मिल रही थी. शिकायत के मुताबिक टिप के ऐवज में रेस्टोरेंट 5-20 फीसदी तक सर्विस चार्ज ग्राहकों से वसूल रहे हैं.
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‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बातचीत में एनआरएआई के अध्यक्ष रियाज अमलानी ने कहा कि हम उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का पालन करते हैं. अधिनियम किसी भी अनुचित विधि या भ्रामक व्यवहार में लिप्त होने से हमें रोकता है. रेस्टोरेंट या होटल मेन्यू में साफ लिखा होता है कि कितना सर्विस चार्ज लगाया जाएगा. हम कोई गलत काम नहीं कर रहे. सर्विस चार्ज की रकम कर्मचारियों में ही बांट दी जाती है. कई रेस्टोरेंट उपभोक्ताओं से पूछ सकते हैं कि क्या वे सर्विस चार्ज चुकाना चाहते हैं और अगर नहीं तो वो ऐसी जगह खाना खाएं जहां सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता हो.
गौरतलब है कि लगातार ग्राहकों से शिकायत मिलने के बाद कंज्यूमर अफेयर्स मंत्रालय ने होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया से सफाई मांगी थी. एसोसिएशन ने सरकार को लिखित जवाब में कहा है कि सर्विस चार्ज देना पूरी तरह से ग्राहकों की इच्छा पर निर्भर है. यह रेस्टोरेंट और होटल में दी गई सुविधा से ग्राहक संतुष्ट नहीं है तो वह इस चार्ज को बिल से हटाने के लिए कह सकता है.