वकील प्रशांत भूषण ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि लखीमपुर खीरी मामले के गवाह पर बीती रात हमला किया गया। भूषण ने इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की।
पिछले हफ्ते भी भूषण ने इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने की मांग की थी। इस पर चीफ जस्टिस एनवी रमण ने 11 मार्च को सूचीबद्ध करने की बात कही थी। भूषण ने कहा कि सुनवाई आज होनी थी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि ऑफिस की गलती के कारण ऐसा हुआ। उन्होंने कहा कि मंगलवार को इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
भूषण ने शीर्ष कोर्ट से शुक्रवार को कहा कि बीती रात मामले के एक अहम गवाह पर हमला किया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिश्रा को जमानत देने के आदेश के खिलाफ पीड़ित परिवार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने मिश्रा को जमानत देते समय शीर्ष अदालत द्वारा तय किए गए सभी दिशानिर्देशों की अवहेलना की।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हाईकोर्ट का 10 फरवरी का आदेश ‘विकृत’ और ‘कानून की नजर में अस्थिर’ है क्योंकि इस मामले में राज्य द्वारा अदालत को कोई सार्थक और प्रभावी सहायता नहीं मिली है। यहां तक कि पीड़ितों को संबंधित सामग्री को हाईकोर्ट के संज्ञान में लाने से भी रोका गया क्योंकि उनके वकील को 18 जनवरी को सुनवाई से ‘डिस्कनेक्ट’ कर दिया गया और अदालत के कर्मचारियों को बार-बार कॉल करने से कोई फायदा नहीं हुआ।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि प्रभावी सुनवाई की मांग वाले उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि हाईकोर्ट ने जमानत देने में अनुचित और मनमाने ढंग से काम किया। हाईकोर्ट अपराध की जघन्य प्रकृति पर विचार करने में विफल रहा।
सनद रहे कि गत वर्ष तीन अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ कई किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। तभी एक एसयूवी ने किसानों को कुचल दिया था। इसमें चार किसान मारे गए थे। वह एसयूवी कथित तौर पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के काफिले का हिस्सा थी। मामले में मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी है।