विकास को लेकर सवाल तो हैं, पर आमजन में ध्रुवीकरण हावी
आज बातें बस्ती, आजमगढ़, संत कबीरनगर और सिद्धार्थनगर की। सबसे पहले चर्चा चुनावी समर भूमि की। चारों जिलों में कुल मिलाकर 23 सीटें हैं विधानसभा की। 2017 में इनमें से 13 सीटों पर भगवा परचम फहराया था, तो एक सीट सहयोगी अपना दल (एस) के खाते में गई थी। 5 सीटों पर साइकिल ने सबको पीछे छोड़ा था तो 4 पर हाथी दौड़ा था। भगवा लहर के बावजूद आजमगढ़ की दस सीटों में से महज फूलपुर-पवई में कमल खिल पाया था। पांच सीटें सपा, तो चार बसपा ने जीती थीं। बस्ती, संत कबीरनगर में हाल इसके उलट था। बस्ती की सभी पांच तो संत कबीरनगर की सभी तीन सीटों पर भाजपा के अलावा किसी की दाल नहीं गली थी। सिद्धार्थनगर की पांच सीटों में चार पर कमल खिला तो एक सीट पर उसके सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी। इस बार भी चारों जिलों में चुनावी समीकरण दिलचस्प हैं। विकास पर बातें तो जरूर हो रही हैं, लेकिन चुनावी राजनीति धर्म और जाति के इर्द-गिर्द ही घूम रही है।
मुबारकपुर, गोपालपुर, मेंहनगर : कोरोना ने तोड़ी बुनकरों की कमर
व्यापार के लिए मशहूर रेशमी नगरी मुबारकपुर विधानसभा क्षेत्र के शाहगढ़ के आलम शेख कहते हैं कि कोरोना ने बुनकरों की कमर तोड़ दी है। सरसों तेल, डीजल-पेट्रोल और बिजली की महंगाई भारी पड़ रही है। नौशाद खान कहते हैं कि बेरोजगारों की फौज खड़ी है। परीक्षा से पहले पेपर लीक हो जाता है। वहीं, धर्मेंद्र कहते हैं कि भाजपा सरकार ने हर गरीब को छत, शौचालय, किसान सम्मान निधि दी है। यहां से मौजूदा विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बसपा से सपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं, गोपालपुर विधानसभा सीट सपा के पास है। चेवता निवासी सत्यनारायण सिंह, कप्तानगंज के दिनेश निषाद, हसनपुर के सूबेदार निषाद कहते हैं कि मुफ्त में राशन के साथ बुजुर्गों को पेंशन मिल रही है। सरकारी योजनाएं राहत देने वाली हैं, लेकिन बेरोजगारी बड़ी समस्या है। चंद्रकेश भी बेरोजगारी व महंगाई को लेकर चिंता जताते हैं। लोगों का कहना हे कि मेंहनगर सुरक्षित सीट पर भाजपा-सपा-बसपा में लड़ाई है। थनौली निवासी राज नारायण सिंह, सिद्धीपुर के दयाराम आवास, शौचालय, किसान सम्मान निधि की तारीफ करते हैं। वहीं, दिनेश, राजेश बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हैं।