आदिवासी समाज में यह मान्यता है कि मेंढक और मेंढकी की शादी करने से इंद्रदेव प्रसन्न होंगे। भरपूर वर्षा होगी और धान के खेत को पानी की कमी नहीं होगी। इसी मान्यता के तहत सोनभद्र के दुद्धी क्षेत्र के आदिवासी बहुल कटौली गांव में यह आयोजन हुआ। मझौली, गोपी मोड़ सहित अन्य गांवों के महिला-पुरुष और बच्चे तालाब से लोटे में जल लेकर पूरे गांव का भ्रमण करते हुए कटौली गांव स्थित डीहवार पहुंचे। यहां दुल्हन रूप में सजी मेंढकी को हल्दी लगाई गई।
आदिवासी परंपरा के अनुसार मेंढक-मेंढकी का विवाह कराया गया। इस दौरान वाद्य यंत्रों पर महिला-पुरुष खूब थिरके। बरातियों का स्वागत करते हुए उन्हें भोजन भी कराया गया। दुल्हन के रूप में मेंढकी को लाल चुनरी पहनाई गई थी। इस अद्भुत परंपरा को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रही। गांव के पूर्व प्रधान मोतीलाल ने बताया कि कई वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। इसके पहले चार दिनों तक रोज लोटे में जल लेकर लोग गांव की परिक्रमा करते हैं। पांचवें दिन विवाह कराया जाता है।विदाई के बाद दोनों को तालाब में छोड़ दिया गया।