घाटों से काफी आगे निकल चुकी गंगा की धारा अब सड़कों पर प्रवाहित हो रही है। गंगा-वरुणा तटवर्ती तमाम गांव-मोहल्ले घिर गए हैं तो घरों में एक मंजिल तक पानी भर गया है। कुछ ने छतों पर डेरा डाला है तो बाढ़ क्षेत्र से निकलने के लिए तमाम लोग परेशान हैं। पानी शहर की ओर बढ़ता जा रहा है।इससे कई जगहों पर आवागमन बाधित है तो कई जगहों पर कालोनियों में पानी भरने की वजह से लोग घर छोड़कर दूसरे जगहों पर रहने को मजबूर हैं। इधर अस्सी घाट के पास चौराहे तक पानी आने के साथ ही सामनेघाट इलाके में भी सड़क किनारे की कालोनियां पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं। उधर गंगा के साथ ही वरुणा में भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।बनारस में बाढ़ से 22000 से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। मंगलवार को सुबह से लेकर शाम तक नेता लेकर अधिकारी तक बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में मदद के लिए डटे रहे। राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी, रविंद्र जायसवाल ने मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा, पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश के साथ बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा किया।
एनडीआरएफ की नाव से पहुंचे राज्यमंत्री ने इस दौरान लोगों में राहत सामग्रियों का वितरण किया। साथ ही यह भी भरोसा दिलाया कि संकट की इस घड़ी में सरकार की ओर से हर संभव मदद किया जाएगा। मध्य प्रदेश और राजस्थान में नदियों का जलस्तर बढ़ने की वजह से ही बनारस में भी गंगा में बढ़ाव जारी है।अभी भी एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है। मंगलवार को नदी का जलस्तर 71.88 सेंटीमीटर रिकार्ड किया गया था जो बुधवार सुबह 72.01 मीटर पहुंच गया। बता दें कि 1978 का उच्चतम जलस्तर 73.90 मीटर दर्ज किया गया था।
गंगा में आने से तेजी से बढ़ रहे जलस्तर में बुधवार से रोक लगने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्रयागराज के चिल्लाघाट पर जलस्तर घटना शुरू हो चुका है, इसका असर वाराणसी में दो दिन बाद दिखाई देगा। हालांकि स्थानीय बारिश या बांध का फाटक खोलने से जाने से इस अनुमान में परिवर्तन की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
गंगा सहित सभी नदियों का जलस्तर व जल प्रवाह की जानकारी रखने की जिम्मेदारी केंद्रीय जल आयोग की है। अधीक्षण अभियंता मुकेश कुमार सिंह और अधिशासी अभियंता शाश्वत राय ने बताया कि आयोग ने गूगल से बाढ़ के लिए अद्दतन जानकारी आमजन तक पहुंचाने के लिए टाइअप किया है। गूगल पर फ्लड एलर्ट इन वाराणसी टाइप करना है। गूगल आपको वाराणसी में बाढ़ की लेटेस्ट जानकारी देगा। इसमें दशाश्मेध घाट, नरिया, सरायमोहना आदि क्षेत्रों की विशिष्ट जानकारी भी शामिल है।
उपमंडलीय अभियंता वी के मिश्रा ने बताया कि इसके लिए सेटेलाइट की मदद ली जा रही है। नाव पर एडीसीपी मशीन लगी है, एकास्टिक डाप्लर, वाटर करंट मीटर, इको साउंडर, सेंसर, टेलीमेट्री आदि अत्याधुनिक मशीनों की मदद से गंगा नदी मे जल प्रवाह और जल स्तर का पल पल का डाटा मिलता है।