कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या मामले में गोरखपुर पुलिस की पहले दिन से ही किरकिरी हुई थी। आरोपियों ने अपने बचने के जितने उपाय किए उतनी ही पुलिस की फजीहत बढ़ती गई। हालांकि उनके एक भी पैतरे काम नहीं आए। पहले कानपुर पुलिस की एसआईटी ने और उसके बाद सीबीआई ने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा ही दिया।
घटना वाले दिन पुलिस इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं थी कि उसके छह मुलाजिमों ने किसी की ऐसी पिटाई की उसकी जान चली गई। पुलिस आला अधिकारी तक इस मामले में कठघरे में आ गए थे। मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी के हंगामा करने के बाद पुलिस ने मामले में हत्या का केस दर्ज किया था। मीनाक्षी के अनुरोध पर ही पहले मामले की जांच कानपुर पुलिस को दी गई। उसके बाद सीबीआई को सौंप दी गई।सीबीआई अब कोर्ट के समन पर आरोपी पुलिस वालों को कस्टडी रिमांड पर लेकर दिल्ली के तिहाड़ जेल में दाखिल करेगी। हालांकि सीबीआई सूत्रों का कहना है कि पुलिस वाले कहां की जेल में रहेंगे, इसका निर्णय कोर्ट लेगा। जबकि इससे पहले मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले का ट्रायल दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि आरोपी पुलिस वालों को दिल्ली ही ले जाया जाएगा।पहले इस मामले की जांच कर रही कानपुर एसआईटी हत्या और गैर इरादतन हत्या में उलझी थी। इस बीच मनीष के परिवार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। दो नवंबर को सीबीआई ने मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की और शुक्रवार को चार्जशीट दाखिल कर दी।आरोपित पुलिस वालों को बर्खास्त करने के लिए गोरखपुर पुलिस की ओर से फाइल भेज दी गई है। खबर है इस पर निर्णय भी हो गया है, लेकिन सार्वजनिक नहीं किया गया है।कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की गत 27 सितंबर को होटल कृष्णा पैलेस में मौत हो गई थी। मनीष अपने दो दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए थे। रामगढ़ताल थानाक्षेत्र के होटल कृष्णा पैलेस में ठहरे थे। आरोप है कि देर रात होटल के कमरे में आए, इंस्पेक्टर जेएन सिंह एंड कंपनी ने मनीष व उनके दोस्तों की पिटाई की थी, जिससे मनीष की मौत हो गई थी। मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने रामगढ़ताल थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर सहित छह पुलिस कर्मियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया था। आरोपित पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। एसआईटी जांच कर रही थी कि मनीष की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच की अपील कर दी। सुनवाई होती, इससे पहले ही सीबीआई ने मुकदमा दर्ज करके केस अपने हाथ में ले लिया।