अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद उनके करीबी संत और महंत सहमे हुए हैं। बिहार के बोधगया मठ के महंत और संरक्षक रमेश गिरि महाराज का कहना है कि उनका हश्र नरेंद्र गिरि से भी ज्यादा खराब हो सकता है। मठ में विवाद के कारण वह कई महीनों से वाराणसी में रह रहे हैं। उन्होंने बिहार और यूपी सरकार को पत्र भेजकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई है।बोधगया मठ के महंत रमेश गिरि ने बताया कि महंत नरेंद्र गिरि उनके सबसे बड़े सहयोगी थे। लखनऊ काली मंदिर मठ के मामले में नरेंद्र गिरि ने बहुत मदद की थी। इसके बाद नरेंद्र गिरि को लखनऊ के काली मंदिर मठ का अध्यक्ष भी बना दिया गया था। नरेंद्र गिरि के जाने से उनको बहुत तकलीफ है।
नरेंद्र गिरी अगर रहते तो बिहार के बोधगया मठ के मामले में उनकी काफी मदद भी करते। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने नवरात्र में उनके मठ में आकर विवाद सुलझाने की बात कही थी। उनके मठ के बहुत सारे उपद्रवी उन्हें परेशान कर रहे हैं। बोधगया मठ में उन्होंने कब्जा कर लिया है।शिकायत के बाद भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। वहां पर मेरी जान को बहुत खतरा है। इसलिए वह पिछले आठ-दस महीनों से अपनी जान को बचाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं और फिलहाल वाराणसी में ठहरे हुए हैं।