अपर सत्र न्यायाधीश ममता भोजवानी ने फैसले में लिखा है, ‘अनुज वधु भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी।। इन्हहि कृदृष्टि विलोकई जोई। ताहि बधे कछु पाप न होई।’ न्यायाधीश ने चौपाई का अर्थ भी समझाया। उन्होंने बताया कि उपरोक्त छंद रामचरित मानस के किष्किंधा कांड मेंं बाली वध के संदर्भ में है। इसका आशय है कि छोटे भाई की पत्नी, बहन, बहू और कन्या ये चारों समान हैं। इन पर बुरी नजर रखने वाले का संहार पाप नहीं है।