महिला अस्पताल में बिजली गुल होने पर घंटों नहीं चला जेनरेटर, टार्च की रोशनी में मिला इलाज,

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सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं दावे कागजी साबित हो रहे हैं। जिम्मेदारों की उदासीनता व ढिलाई के कारण जिला महिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को आए दिन काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गुरुवार को अचानक गुल हुई बिजली के बाद जेनरेटर का संचालन भी ठप रहा। इस दौरान ओपीडी में डॉक्टर को टार्च की रोशनी में मरीज देखना पड़े। साथ ही प्रसव पूर्व होने वाली कोरोना व खून की जांच के लिए भी महिलाओं को चौथी मंजिल तक पहुंचने के लिए 88 सीढ़ियां चढ़ने की परेशानी उठानी पड़ी।

गुरुवार को महिला अस्पताल में लाइन में आयी फाल्ट के कारण करीब दो घंटे से अधिक समय तक बिजली गुल रही। इस दौरान मरीजों को होने वाली परेशानी के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने जेनरेटर चलवाना मुनासिब नहीं समझा। इसके चलते ही सुबह 11.30 बजे का समय होने के बाद भी अस्पताल के जांच व परीक्षण कक्षों में अंधेरा छाया दिखा। पर्चा काउंटर से लेकर ओपीडी के बाहर लंबी लाइन में खड़े मरीज पंखा न चलने से बार बार पसीना पोछते बदहाल दिखे। इस दौरान डॉ. सुषमा सिन्हा ओपीडी कक्ष में छाए अंधेरे के बावजूद में मोबाइल फोन के टार्च की रोशनी में मरीज का चिकित्सकीय परीक्षण करती मिली। डॉ. सुवर्णा कुमार व डॉ. माधुरी भी गर्मी की चिंता छोड़ अंधेरे कक्ष में मरीज देख रही थी।

अस्पताल में मरीजों की सुविधाओं के लिए जनरेटर की व्यवस्था है। बिजली गुल हो जाने पर जनरेटर चलाया जाता है। गुरुवार को बत्ती चले जाने के बाद कुछ समय तक जेनरेटर न चलने की शिकायत मिली है। इसके लिए जिम्मेदार कर्मियों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि सिस्टम में कुछ तकनीकी फाल्ट आ गयी थी। 

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