अपने बच्चों की आड़ में ऐसे नशे का कारोबार करते हैं माफिया परिवार,

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विवेक विहार इलाके के कस्तूरबा नगर इलाका शराब के अलावा दूसरे नशीले पदार्थों की बिक्री के लिए जाना जाता है। शराब और दूसरे नशे का धंधा करने वाली महिलाएं और इनके बाकी परिजन अपने बच्चों को भी बेहद कम उम्र से अपने धंधे में लगा देते हैं। उनको पता है कि नाबालिगों को नशीला पदार्थ बेचते हुए यदि पुलिस पकड़ भी लेगी तो उनके खिलाफ कोई खास एक्शन नहीं लिया जा सकेगा। लड़कों व लड़कियों को इस तरह ट्रेंड किया जाता है कि पकड़े जाने पर वह पुलिस के आगे चुप रहते हैं। 

सूत्रों का कहना है कि महिला के साथ हुई हैवानियत के मामले में खुद महिलाओं और नाबालिगों को इसीलिए आगे किया गया था। हमला करने वालों में आत्महत्या करने वाले लड़के की मां, चाची, ताई, बुआ बहनें, भाई व दूसरे रिश्तेदार शामिल हैं। इन लोगों का इलाके में इतना दबदबा है कि कोई दूसरे इलाके का शख्स इनके मोहल्ले में आने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाता है।पुलिस सूत्रों की मानें तो मेन कस्तूरबा नगर में करीब 30 परिवार शराब व दूसरे मादक पदार्थ बेचने के धंधे में लिप्त हैं। इसके अलावा दूसरी ओर इंद्रा पार्क, ज्वाला नगर का एरिया हैं। यहां भी करीब 50 से 60 परिवारों का धंधा शराब व दूसरे मादक पदार्थ बेचने का रहा है। यहां कुछ लोगों ने शराब के अलावा सट्टे और मटका चलाने का भी धंधा शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि पुलिस की मिली भगत से सब चलता है। ऊपर से दबाव पड़ता है तो दिखावे के लिए कार्रवाई की जाती है। थोड़ा बहुत माल पकड़कर खानापूर्ति कर दी जाती है। 

हकीकत में पूरे कस्तूरबा नगर और ज्वाला नगर में साल के 365 दिन शराब उपलब्ध रहती है। वहीं अपने परिवार का काम देखते-देखते अपराध की दुनिया में पले बड़े हुए नाबालिगों के दिल से पुलिस का भय भी निकल जाता है। वह न तो पुलिस से डरते हैं और न ही अपराध करने से। शराब बेचने के अलावा झपटमारी और लूटपाट में भी यह शामिल रहते हैं। सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर परिवार अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेजते हैं। 

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