शारदीय नवरात्र के पहले दिन आदिशक्ति जगत जननी मां विंध्यवासिनी धाम में शैलपुत्री स्वरूप के दर्शन को श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। पुष्पों व रत्नजड़ित आभूषणों से मां का शृंगार किया गया। मां का दर्शन पाकर श्रद्धालु निहाल हो उठे। गुरुवार तड़के तीन बजे मां विंध्यवासिनी की मंगला आरती के उपरांत से ही मंदिर में दर्शन-पूजन का सिलसिला शुरू हो गया, जो अनवरत जारी है।
दोपहर तीन बजे कर करीब दो लाख लोगों ने दर्शन किया। बुधवार आधी रात के बाद से ही बड़ी संख्या में विंध्यधाम पहुंचे आस्थावानों ने देवी चरणों में जहां शीश नवाया। वहीं जगह-जगह विभिन्न स्थानों पर आसन जमाए साधक मंत्र जाप में तल्लीन दिखाई दिए। मां के दर्शन-पूजन के उपरांत भक्तजनों ने मंदिर परिसर में विराजमान देवी-देवताओं के मंदिरों में मत्था टेका।
घंटा-घड़ियाल, शंख, नगाड़ा, शहनाई एवं मां के जयघोष से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान है। तरह-तरह के पुष्पों, चुनरी तथा रंग-बिरंगे झालरों से की गई मंदिर की सजावट एक अलौकिक छटा बिखेर रही है।
शारदीय नवरात्र के पहले दिन विंध्याचल धाम में दर्शन-पूजन करने के लिए आस्थावानों की भीड़ उमड़ पड़ी। हर कोई मां की झलक पाने को लालायित दिखा। पिछले डेढ़ साल बाद मां विंध्यवासिनी धाम में नवरात्र मेले की रौनक लौटी। कोरोना के चलते पिछले डेढ़ साल से नवरात्र के समय श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन नहीं कर सके थे।