जस्टिस विनीत शरणऔर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ बृहस्पतिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को दरकिनार कर दिया है। पीठ ने कहा है कि एक निजी पक्ष द्वारा दायर याचिका पर इस तरह का सामान्य आदेश पारित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने प्रभवित पक्ष को बिना सुने ही आदेश पारित कर दिया।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका में इस तरह का आदेश पारित करने की गुहार भी नहीं लगाई गई थी। बावजूद इसके हाईकोर्ट ने डीजे पर प्रतिबंध का आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता।
सुनवाई के दौरान इस कारोबार से जुड़े लोगों की अपर से पेश वकील दुष्यंत पाराशर का कहना था कि डीजे ऑपरेटर विवाह समारोह, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं। हाईकोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट पैदा हो गई है। याचिका में कहा गया है यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।