लखनऊ: काकोरी कांड की स्मृतियों पर चलेगा उत्तर रेलवे का बुलडोजर,

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आलमनगर रेलवे स्टेशन की काकोरी ट्रेन एक्शन में अहम भूमिका रही है। काकोरी में ट्रेन लूटने के लिए तीन क्रांतिकारी अमीनाबाद से तांगे पर इस स्टेशन पर पहुंचे थे। यहां उन्होंने जब फर्स्ट क्लास का टिकट लिया तो बुकिंग क्लर्क एकटक देखता रहा। आलमनगर से तीनों क्रांतिकारी काकोरी पहुंचे और ट्रेन एक्शन को अंजाम देकर अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी थी।

इतिहास की गवाह पुरानी आलमनगर रेलवे स्टेशन की वह बिल्डिंग अब जमींदोज होगी। काकोरी ट्रेन एक्शन की स्मृतियों पर रेलवे बुलडोजर चलाने जा रहा है। यहां रेलवे प्रशासन नए प्लेटफार्म बनाएगा। पूर्व रेलवे अधिकारी व इतिहासविद एसके शर्मा ने बताया कि 9 अगस्त, 1925 को शचींद्रनाथ सान्याल दो अन्य क्रांतिकारियों के साथ अमीनाबाद की ईश्वरी चंद्र धर्मशाला के कमरा नंबर 203 में रुके थे, जहां से बांसमंडी निवासी कल्लू तांगेवाले ने क्रांतिकारियों को आलमनगर रेलवे स्टेशन पहुंचाया। क्रांतिकारियों ने वहां पर फर्स्ट क्लास का टिकट खरीदा।

इस पर बुकिंग क्लर्क सकते में आ गया और सोच में पड़ गया कि आलमनगर से काकोरी जैसी छोटी दूरी के लिए कौन फर्स्ट क्लास का टिकट लेता है। काकोरी पहुंचने के बाद क्रांतिकारी बाजनगर गांव की ओर जाने लगे। काकोरी स्टेशन मास्टर से उनकी टोंका-टांकी भी हुई। वहां वे शाहजहांपुर से आने वाली 8 डाउन का इंतजार करते रहे। ट्रेन के आने पर कांड को अंजाम दिया गया।

उन्होंने बताया कि अशफाक उल्ला खां पर लिखी किताबों पर इन बातों का स्पष्ट जिक्र भी मिलता है। उन्होंने बताया कि रेलवे को इस भवन को तोड़ने के बजाय उसे संरक्षित करना चाहिए। जिला प्रशासन को चाहिए कि वह अमीनाबाद की उस धर्मशाला को भी संरक्षित करे, ताकि इतिहास को बचाया जा सके।

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