डालीगंज निवासी गर्भवती महिला को गंभीरावस्था में क्वीन मेरी में भर्ती कराया गया। रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने पर उसे संक्रामक रोग की आईसीयू में भर्ती किया गया। इस बीच प्रसव पीड़ा शुरू होने पर आईसीयू की जिम्मेदारी रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. अजय वर्मा महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मोना को बुलाकर सामान्य प्रसव कराया। इस दौरान जांच हुई तो नवजात कोरोना पॉजिटिव निकला।
राजधानी में पहली मौत
राजधानी में पहली मौत नजीराबाद निवासी वृद्ध की हुई। जमातियों के विभिन्न स्थानोें पर पॉजिटिव पाए जाने के बाद इस वृद्ध को 13 अप्रैल को केजीएमयू में भर्ती कराया गया। 15 अप्रैल को इनकी मौत हो गई। अब तक राजधानी में मौत का आंकड़ा 1187 पहुंच गया है।
जान गंवाने वाले पहले चिकित्सक
उरई के डॉ. सुनील अग्रवाल पहले चिकित्सक रहे, जिन्हें कोरोना के चलते जान गंवानी पड़ी। वह 25 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती हुए। तमाम प्रयासों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका।
सबसे ज्यादा दिन तक रही पॉजिटिव
एरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती अंतिम कोरोना मरीज को 20 फरवरी को डिस्चार्ज किया गया। वह कॉलेज में सबसे लंबे समय 37 दिन तक भर्ती रही। इस दौरान उनकी 12 बार आरटीपीसीआर जांच हुई। इस मरीज की विदाई के साथ कॉलेज को कोरोना मरीज मुफ्त घोषित किया गया। राजधानी निवासी 65 वर्षीय अंजुम फातिमा को 14 जनवरी 2021 को एरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। वह बीपी, शुगर और हृदय रोग से भी ग्रसित थीं। करीब 10 दिन तक आईसीयू में रहने के साथ वह कुल 37 दिनों तक एरा में भर्ती रहीं। 20 फरवरी को अंतिम मरीज के रूप में उन्हें डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद कॉलेज को कोरोना मरीज मुक्त घोषित कर दिया गया।
सर्वाधिक उम्रदराज मरीज
राजधानी की 91 साल की वृद्धा भी कोरोना को मात देने में सफल रही। वह 30 अप्रैल को पॉजिटिव मिली और 24 मई को रिपोर्ट निगेटिव आने पर डिस्चार्ज कर दी गई। उनका बेटा व बहू दोनों डॉक्टर हैं। वृद्धा को एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था।
ऐसा संकट… कई चिकित्सकों को गंवानी पड़ी जान
आम आदमी के जीवन पर संकट होता है तो वह डॉक्टर के पास जाता है। लेकिन कोरोना में ऐसा संकट आया कि दूसरों की जिंदगी बचाने वाले कई चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों को भी जान गंवानी पड़ी। इसमें से कुछ कोरोना ड्यूटी करते समय वायरस की चपेट में आए तो कुछ अन्य कारणों से संक्रमित हुए।
15 जुलाई को बाल रोग विशेषज्ञ की मौत
कोरोना से पीड़ित डफरिन हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीजुद्दीन की 15 जुलाई को मौत हो गई। वह 20 दिन एसजीपीजीआई में भर्ती रहे। लेकिन फेफड़े में गंभीर संक्रमण के चलते उन्हें बचाया नहीं जा सका।
राजधानी में अब तक करीब 82 हजार लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। करीब 1187 लोग जान गंवा चुके हैं। अब वायरस की चेन कमजोर हुई है तो दहशत भी घटी है।
राजधानी में कोरोना की पुष्टि 12 मार्च 2020 को कनाडा से लौटने वाली डॉक्टर की रिपोर्ट से हुई। इस दौरान दो अप्रैल को 12 जमाती पॉजिटिव मिले, लेकिन शहर में दहशत तब फैली जब 15 अप्रैल को 31 लोग पॉजिटिव आ गए।
इसमें 28 सदर बाजार के निवासी थे। इनमें एक ही परिवार के आठ लोग थे। सभी को अस्पताल में भर्ती कराने से इनके घर में ताला लग गया। दुकान बंद हो गई।
करीब 15 दिन बाद पूरा परिवार निगेटिव होकर घर लौटा तब तक शहर में लॉकडाउन हो चुका था। अब यह परिवार एक बार फिर उठ खड़े होने की तैयारी में है।
इस परिवार के सदस्य पंकज बताते हैं कि उस दौर की याद आते ही सिहरन पैदा हो जाती है। इसी तरह ऐशबाग सब्जी मंडी निवासी इस्लामुद्दीन का परिवार में पति-पत्नी के साथ दोनों बच्चों व तीन अन्य सदस्य भी वायरस की चपेट में आ गए।
अब ठीक होने के बाद फिर से रोजगार की तैयारी में हैं। इसी तरह तमाम ऐसे परिवार हैं जो कोरोना काल में तबाही का मंजर झेलने के बाद फिर से उठ खड़े होने की कवायद में हैं।
राजधानी की पहली मरीज
राजधानी में कोरोना की पहली मरीज गोमती नगर की महिला डाक्टर रहीं। वह आठ मार्च को कनाडा से लौटीं और लक्षण मिलने पर 11 मार्च को केजीएमयू में भर्ती हुईं। केजीएमयू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डी हिमांशु के नेतृत्व में 11 चिकित्सकों व चिकित्सा कर्मियों की टीम गठित की गई। जांच में अगले दिन महिला डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव मिलीं। उन्हें 22 मार्च को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद उनके भाई, सास-श्वसुर के साथ ढाई साल का बेटा भी पॉजिटिव मिला। ये सभी कोरोना को मात देने में सफल रहे।
पहली बार संक्रमित डॉक्टर
कनाडा से लौटी महिला डॉक्टर का इलाज करने के लिए बनी पहली टीम के सदस्य मेडिसिन विभाग के रेजिडेंट डॉ. तौसीफ भी सात अप्रैल को संक्रमित हो गए। इससे चिकित्सा क्षेत्र में हलचल मच गई। दो दिन बाद रेजिडेंट डॉक्टर के तीन रिश्तेदार भी पॉजिटिव मिले। इस तरह वक्त के साथ मरीजों की संख्या बढ़ी। एक के बाद एक चिकित्सक, चिकित्साकर्मी भी वायरस की चपेट में आते रहे। अब तक राजधानी के तीनों चिकित्सा संस्थानों को मिलाकर 10 हजार से ज्यादा चिकित्सक व स्टाफ वायरस की चपेट में आ चुके हैं।