राम मंदिर से जुड़े मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यह एक संवेदनशील मामला है. कोर्ट ने कहा कि ‘संवेदनशील मसलों का आपसी सहमति से हल निकालना बेहतर है.’ इस बीच बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या भूमि विवाद पर जल्द सुनवाई की मांग की है.
अगले शुक्रवार को इस मांग पर सुनवाई का विचार कर सकता है
सुप्रीम कोर्ट अगले शुक्रवार को इस मांग पर सुनवाई का विचार कर सकता है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह के संवेदनशील मसलों का आपसी सहमति से हल निकालना बेहतर है. कोर्ट ने ये भी कहा कि दोनों पक्षों को आपस में हल निकालने की कोशिश करनी चाहिए. अदालत ने साफ किया कि ‘अगर ऐसा हो सके तो कोर्ट मध्यस्थता कर सकता है.’
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दोनों पक्ष बातचीत के लिए तैयार हों तो किसी जज को मध्यस्थता का ज़िम्मा
चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा, ‘अगर दोनों पक्ष बातचीत के लिए तैयार हों तो किसी जज को मध्यस्थता का ज़िम्मा दे सकते हैं. मैं खुद भी इस काम के लिए तैयार हूँ.’ इस मुद्दे पर बीजेपी ने इस टिप्पणी का स्वागत किया है. जबकि कांग्रेस ने कहा है कि मामला आदालत में है और उसे ही इस पर कोई फैसला करना है.
स्वामी ने दावा किया कि उनकी ओर से बातचीत की कोशिश की गई है
सुनवाई के बाद बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि उनकी ओर से बातचीत की कोशिश की गई है. स्वामी ने यह भी दावा किया कि अबतक साबित हो चुका है कि मस्जिद के नीचे विशाल मंदिर है. इसके साथ ही बीजेपी नेता ने कहा कि ‘मेरा सुझाव है कि सरयू पार मस्जिद बनाई जाए और यहां राम मंदिर के लिए स्थान हो.’
राम मंदिर मामला एक नजर में :
- हिंदुओं की मान्यता है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था
- हिंदू पक्षों का आरोप है कि 16वीं शताब्दी में मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर तोड़ने की दलील नहीं मानी है
- 1949 से ये विवाद चल रहा, जब मस्जिद में रात में भगवान राम की मूर्ति रखी गई
- 80 के आखिरी और 90 के शरुआती दशक में बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया और राजनीतिक तौर पर उसे बड़ा फायदा हुआ
- 1992 में विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया