मकर संक्रांति के पर्व पर वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। इस दौरान कोरोना पर आस्था भारी दिखी। श्रद्धालुओं ने सूर्योदय होते ही गंगा में डुबकी लगाई। साथ ही भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। दशाश्वमेध घाट पर कोरोना प्रोटोकॉल का कहीं भी पालन नहीं हो रहा था। लोग बिना मास्क के घूम रहे थे। सोशल डिस्टेंसिंग के बिना गंगा स्नान किया जा रहा था। हालांकि कोरोना की वजह भीड़ कम दिखाई दी, जो कोरोना से गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ता था।
मकर संक्रांति का महापर्व 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। भगवान भास्कर धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे और इसके साथ ही खरमास का समापन हो जाएगा। भगवान सूर्य की आराधना के पर्व मकर संक्रांति पर तिलदान करने से संकट दूर होते हैं और पापों का शमन होता है। सूर्य की राशि परिवर्तन से रात्रि छोटी व दिन बड़े होने लगते हैं और मौसम में भी बदलाव नजर आता है।विज्ञापनज्योतिषाचार्य आचार्य पं. दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार, सूर्यदेव ने 14 जनवरी की रात्रि 08:34 पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश किया, किंतु भगवान सूर्य को साक्षी मानने और सूर्य सिद्धांत होने के कारण मकर संक्रांति 15 जनवरी को प्रात: काल सूर्योदय से लेकर मध्याह्न में 12:49 बजे तक मनाई जाएगी। संक्रांति का यह पुण्यकाल स्नान-दान के लिए पुण्य फलदायी होगा।
सूर्य, बुध और शुक्र के राशि परिवर्तन से द्वादश राशियों पर अलग-अलग प्रभाव नजर आएंगे। साथ में गुरु का अस्त 18 जनवरी को, बुध का भी अस्त पश्चिम दिशा में होगा। इससे राजनीतिक उतार-चढ़ाव, मौसम में बदलाव, अत्यधिक बारिश एवं प्राकृतिक घटनाओं के योग बन रहे हैं।