आज हो जाएगा सियासी दिग्गजों के किरदार का फैसला

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नतीजों की जद में वे तो आएंगे ही जो चुनावी संग्राम 2022 के मैदान में हैं, लेकिन ऐसे चेहरे भी आएंगे, जो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। कारण ये ऐसे सूरमा हैं जो चुनावी मैदान से बाहर होने के बावजूद भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए बृहस्पतिवार को घोषित होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम सिर्फ  सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों के भाग्य का ही फैसला नहीं करेंगे…। सिर्फ  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की किस्मत का निर्णय नहीं करेंगे, बल्कि प्रियंका गांधी, जयंत चौधरी के साथ कुछ उन प्रमुख सियासी किरदारों का भी भविष्य तय करेंगे, जो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। साथ ही ये नतीजा तय करेगा कि उत्तर प्रदेश की राजनीति की भावी दिशा और उसकी पटकथा क्या होगी।

नतीजों से पता चलेगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव में कौन किस पर भारी पड़ा। बीते डेढ़ दशक के कालखंड में पहली बार प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री चुनाव लड़ रहा है। साथ ही लंबे अरसे बाद इस बार यह संयोग भी घटित हो रहा है कि अखिलेश यादव के रूप में कोई पूर्व मुख्यमंत्री भी प्रदेश विधानसभा के चुनावी मैदान में उम्मीदवार है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि व्यक्तिगत जनसमर्थन में कौन किस पर बाजी मारता है। किसके वोटों का आंकड़ा किस पर भारी पड़ता है। यह सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि दोनों नेता लोकसभा का चुनाव तो लड़ते रहे हैं, लेकिन विधानसभा का पहला चुनाव लड़ रहे हैं।

पता चलेगा नए चेहरों का दमखम
इन नतीजों से निकलने वाले निहितार्थों की प्रासंगिकता इसलिए और ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि पहली बार इस चुनाव में पूरी तरह नए नेतृत्व के दम-खम की परीक्षा का परिणाम भी सामने आने वाला है। वैसे तो समाजवादी पार्टी में बिखराव के कारण मुलायम सिंह यादव 2017 में भी चुनाव प्रचार में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं दिखे थे, लेकिन अखिलेश के साथ आजम खां जैसा आक्रामक वक्ता और नेता था। जो इस बार नहीं है। योगी आदित्यनाथ ने प्रचार तो तब भी किया था, लेकिन उस समय वह न मुख्यमंत्री थे और न भाजपा के चुनाव प्रचार की पूरी कमान उन्होंने संभाल रखी थी। पर, इस बार वे मुख्यमंत्री भी हैं और नरेंद्र मोदी, अमित शाह की तरह भाजपा के चुनावी रथ के सारथी भी हैं तो नीति व निर्णयों में हिस्सेदार भी।

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