लालगंज कोतवाली का निर्माण वर्ष 1913 में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा करवाया गया था। आजादी मिलने के बाद कोतवाली के इस भवन पर सत्यमेव जयते जरूर लिखा दिया गया, लेकिन फरियादियों से यहां आज भी गुलामों की तरह ही व्यवहार होता है। लालगंज पुलिस की इस तरह की करतूत आजकल सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। बताया जाता है कि लालगंज कोतवाली के खजुरी गांव का रहने वाला त्रिवेणी प्रसाद विश्वकर्मा एक निमंत्रण में शामिल होने जा रहा था।
रास्ते में दबंगों की पिटाई से वह मरणासन्न हो गया। आनन फानन में परिजन उसे लेकर लालगंज कोतवाली पहुंच गए। मरणासन्न होने के चलते पीड़ित कोतवाल की कुर्सी के सामने जमीन पर ही लेट गया। लेकिन पुलिस ने पीड़ित को जमीन पर लिटाकर ही पूछताछ शुरू कर दी। अफसर से लेकर कार्यालय व संतरी की ड्यिुटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को इतनी भी दया नही आई कि फरियादी को बेंच या कुर्सी पर बैठाकर पूछताछ कर लेती।
करीब आधे घंटे पीड़ित पुलिस के सामने जमीन पर लेटा हुआ तड़पता रहा, लेकिन उसे न तो बैठने के लिए कहा गया और न ही अस्पताल भेजा गया। बाद में उसे परिजन अस्पताल उपचार के लिए लेकर चले गए। हालांकि अस्पताल में वह उपचार कराने के बाद ठीक होकर घर चला गया, लेकिन पुलिस की शर्मनाक करतूत तब तक लोगों के सामने आ चुकी थी।