प्रयागराज में 18 मोहल्लों के 30 हजार घरों में घुसा बाढ़ का पानी,

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खतरे का निशान पार कर चुकीं गंगा और उफान पर यमुना की बाढ़ कछारी इलाकों में कहर बरपा रही है। हर घंटे बढ़ रहा नदियों का जल शहरियों के लिए आफत बना है। मंगलवार को कछार के एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के करीब 30 हजार घरों में पानी घुस गया। बिजली कटौती और पेयजल न मिलने से परेशान लोग पलायन कर रहे हैं। सड़क और गलियों में नावें चल रही हैं। लोगों को बचाव के लिए रास्ता नहीं सूझ रहा है।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वालों में कुछ ने परिचितों-रिश्तेदारों के घरों और बहुतेरों ने फिलहाल छत पर ही डेरा जमाया है। प्रभावित इलाकों में लोग दिन भर सामान समेटते रहे। सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों और बुजुर्गों को है। बीमारों और स्कूल जाने वाले बच्चों की भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पानी से चारों तरफ घिरे मकानों में लोग अपने सामान की सुरक्षा की जद्दोजहद में परेशान हैं।शहर के कछारी मोहल्लों में मंगलवार को बाढ़ का पानी नालियों के रास्ते घुसा। ज्यादा प्रभावित मोहल्लों में द्रौपदी घाट, राजापुर, गंगानगर, नेवादा, ऊंचवागढ़ी, सरकुलर रोड का निचला हिस्सा, बेली कछार, मऊसरइयां, शंकरघाट, स्वामी सदानंद नगर, मेंहदौरी, छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, दारागंज, बक्शी कला, गऊघाट, करेलाबाग आदि मोहल्लों में लोग सांसत में रहे। हर तरफ पानी ही पानी रहा। जहां बाढ़ का असर रहा वहां निचले तल पर एक से ढाई फीट पानी लगा। किसी ने ऊपरी मंजिल पर सामान चढ़ाया तो किसी ने गठरी में बांधा गया सामान प्रभावित इलाकों से दूर परिचितों, रिश्तेदारों के घर पहुंचाया।द्रौपदी घाट के किनारे द्रौपदी मंदिर तक गंगा जल पहुंच गया है। देवी दरबार पूरी तरह जलमग्न है। श्री बिंदु माधव मंदिर से पानी अभी दो मीटर दूर है। यहां रहने वाले दो दर्जन से अधिक परिवार सड़क पर डेरा जमाए हैं। छोटा हाथी और ट्रैक्टरों पर गृहस्थी का सामान रखा गया है। सीडीए पेंशन के आवासीय परिसर की चहारदीवारी के बगल फुटपाथ पर काली-नीली पन्नी की छावनी बनाकर महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं। यहां पशुपालकों की संख्या अधिक है। जानवरों को छुट्टा छोड़ दिया गया है। बकरियों और पशुओं के झुंड सड़क घेरे हैं। मुकेश यादव, सत्यम, रमाकांत पटेल, किरन यादव के घर के  मुहाने पानी है। वहीं जीतलाल पटेल, ओमप्रकाश यादव, गुड्डी, बनवारी पटेल, नन्हू पटेल, अमृत लाल, राजकुमार मौर्य सुभाष आदि के घर बाढ़ में आधे डूबे हैं। बिजली गुल होने से सांप, बिच्छू और मच्छरों के प्रकोप से लोग परेशान हैं।राजापुर इलाके में मंगलवार को बाढ़ का कहर हर तरफ दिखा। सौ या दो सौ नहीं सैकड़ों मकानों में बाढ़ का पानी घुसा। भोर में चार बजे से चुपके से घुसा पानी दोपहर बाद तक परेशानी का कारण बन गया। आननफानन में लोगों ने सामान समेटा। महिलाओं के जिम्मे गृहस्थी और बच्चे किताबों, टीवी आदि सामान हटाते रहे। घर से सड़क तक सिर पर सामान ढोकर लाना मजबूरी बनी किसी ने छत पर तो किसी ने दूसरी मंजिल पर ठिकाना बनाया। 500 से अधिक लोगों ने जरूरी सामान समेटकर परिचितों के घर शरण ली है।शंकरघाट, रसूलाबाद इलाके के स्वामी सदानंद नगर में गंगा किनारे बने दर्जनों मकान लबालब हैं। शंकरघाट निवासी पूर्व जिला सूचना अधिकारी जेएन यादव बताते हैं कि लहरों को देख दहशत हो रही है। उन्होंने न केवल ऊपरी मंजिल पर सामान पहुंचाया बल्कि ढिबरी, लालटेन और मिट्टी का तेल भी खरीद लाए। प्रशांत श्रीवास्तव, अरुण, बबलू सिंह, आरके कटियार समेत अन्य लोग दो दिन से रतजगा कर रहे हैं। उनका कहना है कि बढ़ता पानी देख नहीं लगता कि वह बाढ़ से बच पाएंगे। सलोरी में बाढ़ का कहर पीड़ा का कारण बना है। यहां गंगेश्वरनाथ धाम मंदिर मार्ग पर पानी लगा है। अमिताभ बच्चन पुलिया पर लहरें हिलोरें मार रही हैं। सलोरी गांव के बीच सड़क पर पानी भरा है। इस कारण लोग गोविंदपुर नहीं जा पा रहे हैं। अपट्रान चौराहे से सलोरी जाने वाला नाला ओवरफ्लो होकर मुसीबत बना है।

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